शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

रविवार, 4 दिसंबर 2011

Romance with the Life........ "PACKUP" End Of An Era


फिल्म तेरे घर के सामने के इस गीत में देवानंद जी का सहज अभिनय और नूतन जी का बालकनी में आकर हर्षमिश्रित हैरानी का भाव देना, मेरे पटल में बस गया. मैं मुरीद हो गया. श्रद्धांजलि.
पहले महज एक जुमला लगता था.... अब समझ में आ रहा है कि किसी के जाने पर "एक युग का अंत" क्यों कहा जाता है....

रविवार, 27 नवंबर 2011

महँगा बाजा...



बिलासपुर में इस बार का रावत नाचा महोत्सव भी निपट गया लेकिन पिछले साल की तरह इस बरस भी विनोबा नगर में गड़वा बाजे की रात रात भर गूंजने वाली आवाज़ नहीं सुनाई दी. यहाँ बरसों से आ बसे रावतों में इस बरस भी बाजा करने का सामर्थ्य नहीं था. इसे महंगाई का असर तो कहा जा सकता है लेकिन एक पहलू ये भी है कि अब शहरों में गाय पालने का प्रचलन नहीं रह गया है सो रावतों के पास उतना काम भी नहीं रह गया है, उतने घर भी नहीं रह गए हैं जिनके दरवाजे वो बाजे और अपने दल के साथ जा कर आशीष दें और दक्षिणा पायें.
बिलासपुर में देवउठनी एकादशी के दिन अरपा के तट पर बाजा बाज़ार लगता है जहां आसपास के राउत आते हैं और अपने लिए बाजा चुनते हैं. उस दिन मैं बाज़ार का जायजा ले रहा था कि मुझे मनहरण मिल गया जो कि विनोबा नगर के राउतों का मुखिया है, बाजा न कर पाने का दु:ख उसने अपने ही अंदाज़ में बयान किया. आप भी सुने पहले गड़वा बाजा फिर मनहरण की बातों के कुछ अंश...

गुरुवार, 17 नवंबर 2011

Rawat Mahotsav Jhalakiyan.wmv



Dear friends, 34th Rawat Naach Mahaotsav of Bilaspur is scheduled on the eve of 19th November, actually it is the biggest competition of Rawat Folk Dances of Chhattisgarh, where dozens of Gole (teams) of Rawats come to perform their Shourya' (Strength) one by one, means thousands of folk dancers with colorful Lathis on their hands and in very colorful traditional dress. As per my view it is the Paradise for those photographers who wants to cover pure folk.
History- In Bilaspur area of Chhattisgarh there is tradition of The Yadavs that their teams take round of Shanichari bazaar (Old Market place for Cows) on the second Saturday after Devuthni Ekadashi. In past it was quite irregular and mostly ended with the battles of Goles (teams) every year. Then some intellectuals of yadav society came forward to regularize this tradition and gave it a shape of healthy competition. Now its runs whole night and in the morning, Big Shields and Trophies are there for the winners in various categories.
There are too many things to watch and read about this function and the participants like their Bazaa Party, their dresses, Dohe, Song's etc. etc.. One thing which attracts me is Pari' (two is common) in each team. Men dressed in ladies wear and act like female dancer of the team (ladies are not allowed in teams cause Shourya' is meant for the males only).

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

Rescue Of A Bird.wmv


पिछले रविवार को बिलासपुर के गोल बाज़ार स्थित छितानी मितानी दुबे धर्मशाला के सामने वाले पीपल पेड़ की एक डंगाल पर लिपटे पतंग के धागों में एक मैना का पैर उलझ गया और वो वहाँ फंस कर रह गई. उसके आर्तनाद को सुन वहाँ के लोगों का ध्यान उसकी और गया. उसके फंसे होने का एहसास होते ही वहाँ से गुजर रहे नंदू गुरूजी, वहाँ के पानठेले वाले, वहाँ खड़े हो कर चाट खा रहे लोगो ने मैना को छुड़ाने की जुगत शुरू कर दी. साथ लगे वीडियो में देखें उस नन्ही सी जान को लोगों ने कैसे बचाया..... अफ़सोस इस बात का कि मैं उसकी परवाज़ को रिकॉर्ड नहीं कर सका क्योंकि आज़ाद होते ही वो नीचे गिर पड़ी, फिर नीचे से ही फुर्र हो गई.

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

My Kids in a Freindship with waves...


मेरे बच्चों के लिए समुद्र में नहाने का ये सिर्फ दूसरा मौका था. पुरी के इस तट पर दस से पंद्रह फुट लहरें उठ रही थीं, उतरता ज्वार था, वापस लौटती लहरों का दबाव बहुत ज्यादा था, सो आपस में टकराती लहरें इंसानों को उठा कर कभी बाएं फेंकतीं तो कभी दायें. इस तट पर समुन्द्र के अन्दर कोई नहीं जा रहा था. मैंने बच्चों का हाथ पकड़ा और उनकी लहरों से दोस्ती कराई फिर क्या था, बच्चों ने लहरों के साथ खूब मस्ती की. आखिर में मैंने उनकी इस दोस्ती का छोटा सा वीडियो बनाया.

पुनश्च- वीडियो स्थिर नहीं है क्योंकि लहरें मुझे भी हिला रही थीं.

मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

It Happens….


Train accident because of emergency breaks..
 D and L system calculated draw an one day cricket match…..Amazing
१.... ट्रेनों में इमरजेंसी ब्रेक हादसों को रोकने के लिए होते हैं और पिछले दिनों एक ट्रेन में इमरजेंसी ब्रेक लगाने से एक्सीडेंट हो गया...
२.  डकवर्थ और लूइस प्रणाली सीमित ओवरों के क्रिकेट मैचों में जीत-हार के नतीजों तक पहुँचने के लिए अपनाई गई है और इसके अनुसार पिछले दिनों एक वन डे मैच ड्रा हो गया......ऐसा भी होता है:

बुधवार, 31 अगस्त 2011

रविवार, 28 अगस्त 2011

अब कितने दिन में?

अन्ना के अनशन पर कुछ मैं भी लिख दूं ये सोच कर बैठा, अभी नोटिफिकेशन ही देख रहा था कि बगल में मेरा बेटा आ बैठा, कक्षा नवमी का छात्र है. पूछने लगा कि अब कितने दिन में प्रधानमंत्री और बाकी मुख्यमंत्रियों का पैसा जब्त होके सरकारी खजाने में आ जायेगा? मेरा मुंह खुला रह गया, मैं कुछ बोल पाता इससे पहले उसने एक और सवाल दाग दिया क्या ये सही है कि विदेशों में जमा पैसा वापस आने पर दस साल तक इस देश में टैक्स नहीं लगेगा? ऐसा कब होगा? और... और....... मैंने कहा बस कर और उससे पूछा किसने तुम से ये सब कहा है? जवाब आया ये बातें तो रोज़ हमारे स्कूल में साथी लोग कह रहे हैं.
अब मैंने सब काम छोड़ कर उसे लोकपाल और जनलोकपाल का मतलब बताया, स्थाई समिति के बारे में बताया, ये भी बताया कि विदेश में जमा धन वापस लाने का आन्दोलन रामदेव बाबा का था. आधे घंटे की इस क्लास में उसे कितना समझ में आया? ये तो मैं नहीं जानता लेकिन सिटीजन चार्टर की बात पर ये जानकर कि  अधिकारियों की तनखा से जुर्माने की राशि कटेगी उसे मजा आ गया. अभी भी वो मेरी बगल में बैठा है मुझे ये लिखते देख कर कह रहा है, पापा काफी हद तक सब समझ में आ गया है.......?

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

मैं अण्णा!

सोलह अगस्त के बाद अन्ना होने के मायने बदल गए हैं. "मैं अन्ना का" नारा भी स्वस्फूर्त हो गया है.
बचपन से सुनते आये हैं "हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तां क्या होगा"?
आज कल्पना कर रहा हूँ- "जब हर शाख पे एक अन्ना होगा, रंग ए हिन्दुस्तां क्या होगा?

रविवार, 14 अगस्त 2011

Shammi Kapoor......

बचपन से जिसके गाने सुन-सुन कर जवानी में थिरके थे, तब कोई यदि हमें जंगली कहता था तो लगता था मानो कोई ख़िताब मिल गया हो. शम्मी कपूर का जाना आज की दु:खद खबर. हमेशा याद रहेंगे. भगवान् उनकी आत्मा को शांति दे. उनके परिवार व लाखों प्रशंसकों को इस दु:ख को सहने की क्षमता दे. आमीन!

रविवार, 7 अगस्त 2011

70 सालों से दोस्ती की अटूट मिसाल, Dainik Bhaskar, Bilaspur

 07-08-2011
आज भास्कर के बिलासपुर एडिशन में दोस्ती दिवस पर मेरे डैडी और प्रेम चाचा की मित्रता की चर्चा. पता चला कि लेखिका मंजुला जैन को प्रेम चाचा के पुराने पड़ोसियों टंडन परिवार ने आइडिया दिया था. संज्ञा जी, राजेश जी आभार
मंजुला जैन. बिलासपुर

पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते हुए अगस्त के पहले रविवार को लोग दोस्ती के पर्व के रूप में सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन ऐसे लोगों के लिए शहर के दो दोस्त मिसाल हैं जो 70 वर्षों से एक-दूसरे का सुख-दुख बांट रहे हैं।

विनोबा नगर निवासी सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त रीजनल मैनेजर नारायण प्रसाद दुबे व क्रांतिनगर निवासी सेवानिवृत्त फूड कंट्रोलर प्रेमकुमार श्रीवास्तव की दोस्ती खपरगंज स्थित प्राइमरी स्कूल से शुरू हुई। उस समय दोनों कक्षा पहली में पढ़ते थे। स्कूली शिक्षा के बाद एसबीआर कॉलेज में दोनों ने बीए भी साथ ही किया। कॉलेज की शिक्षा के बाद श्री दुबे नौकरी के लिए भिलाई चले गए और श्री श्रीवास्तव अंबिकापुर। 13 साल तक वे दोनों एक दूसरे से नहीं मिल सके, लेकिन पत्रों के माध्यम से उनका संपर्क बराबर रहा। अभिन्न दोस्तों के बीच दूरी शायद ईश्वर को भी मंजूर नहीं थी, इसलिए 13 साल दूर रहने के बाद वे फिर मिले।

श्री दुबे का कहना है कि उन्हें प्रेमकुमार का शांत, गंभीर, अपने से बड़े अधिकारियों को लेकर चलने की कला ने इतना प्रभावित किया कि उसका अनुसरण उन्होंने भी किया। वहीं श्री श्रीवास्तव ने कहा कि नारायण की निश्छल, स्पष्टवादिता उन्हें काफी पसंद आई और वे उनके खास दोस्त बन गए। श्री दुबे ने कहा कि आजकल की दोस्ती दिखावे की है। इसके पीछे कहीं न कहीं स्वार्थ छिपा होता है। हमने दोस्ती को कभी भी सेलिब्रेट नहीं किया, इसे महसूस किया और हर पल जिया है। अच्छा मित्र मिलना किस्मत की बात होती है। जिस तरह बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता उसी तरह बिना मित्र के जीवन नहीं चल सकता। मित्रता अमर रहे और आखिरी सांस तक वे इसे शिद्दत से जीते रहे, यही उनकी इच्छा है।

बच्चों की शादी का उठाया जिम्मा

श्री श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी बेटी सुनीता के विवाह के समय लड़का देखने जाने से लेकर सभी इंतजाम करने की जिम्मेदारी नारायण दुबे को दी गई थी। उनकी पसंद के लड़के से ही बेटी का विवाह हुआ। वहीं नारायण प्रसाद दुबे के
बेटियोंके विवाह का सभी इंतजाम प्रेमकुमार ने किया। परिवार के सभी छोटे-बड़े निर्णय दोनों की रजामंदी से ही होते हैं। एक दूजे पर संकट आने से पहले वे ढाल बनकर खड़े होते हैं।

दूसरों के लिए बने प्रेरणा

प्रेमकुमार व नारायण प्रसाद की घनिष्ठ दोस्ती उनके परिवार के लिए भी मिसाल है। उनके नाती-पोते भी उनके जैसी दोस्ती निभाने की तमन्ना रखते हैं। वहीं कॉलोनी व दोस्तों के बीच यह दोस्ती लोगों को प्रेरणा देने का काम करती है।
 
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आज पिताश्री ने मित्र के गुण पर
रामचरितमानस:किष्किन्धाकाण्
​ड की कुछ चौपाइयां सुनाई -

जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
जिन्ह कें असि मति सहज न आई। ते सठ कत हठि करत मिताई॥
कुपथ निवारि सुपंथ चलावा। गुन प्रगटे अवगुनन्हि दुरावा॥
देत लेत मन संक न धरई। बल अनुमान सदा हित करई॥
बिपति काल कर सतगुन नेहा। श्रुति कह संत मित्र गुन एहा॥
आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई॥
जा कर चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहि भलाई॥
सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी॥
सखा सोच त्यागहु बल मोरें। सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥

बुधवार, 20 जुलाई 2011

AIRTEL का 198... शिकायत की क्या?




 अब जबकि फोन खिलौना हो गया है, निजी कंपनियों ने ग्राहक सेवा के मायने बदल कर रख दिए हैं बावजूद इसके एक नई समस्या पैदा हो गई है. अगर आपके यहाँ एयरटेल (निजी कंपनी) का फोन लगा है तो आप भी इससे रूबरू हो चुके होंगे, अगर नहीं तो तैयार हो जाइए. ये समस्या तब उपजती है जब आपका फोन खराब हो जाता है और उसकी शिकायत दर्ज करानी होती है. सबसे पहले अपने ऐसे परिचित को खोजना पड़ता है जिसके यहाँ उसी कंपनी का फोन हो, उनके यहाँ अनुमति लेने के बाद 198 डायल कीजिये..... कुछ सेकेण्ड संगीत सुनिए, फिर आवाज़ आएगी +ये नंबर शिकायत दर्ज कराने के लिए है, अगर आपको बिल या अन्य सेवाओं सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए तो कृपया 121 डायल करें+... फिर संगीत.... उसके बाद आपको उस फोन के बिल का हाल सुना दिया जाएगा, संगीत... आवाज़ ..अंग्रेजी के लिए एक... हिंदी के लिए दो डायल करें संगीत..... आवाज़... इसी नंबर की शिकायत के लिए एक, अन्य नंबर के लिए दो डायल करें,   संगीत.... फिर कुछ इस तरह के अनुरोध ... लाइन में खराबी के लिए एक, इंस्ट्रूमेंट में खराबी के लिए दो, फोन पूरी तरह से बंद है तो तीन डायल करें..... हमारे अधिकारी से बात करने के लिए नौ डायल करें,  फिर संगीत.. फोन से ज़रा नज़र हटा कर देखेंगे तो पता चलेगा कि तीन मिनट से ऊपर हो चुके हैं और फोन का मालिक आपको घूर रहा है, आप असहज हो जातें हैं, उधर फोन पर आवाज़ आ रही है कि आपकी काल हमारे अधिकारी के पास ट्रांसफर की जा रही है..... जो रिकार्ड भी की जा सकती है..... आपका काल हमारे लिए महत्वपूर्ण है कृपया लाइन पर रहें.... पांच मिनट हो चुके हैं अब फोन मालिक को शक होने लगता है कि ये शिकायत का नाम ले कर भविष्यवाणी तो नहीं सुन रहा है? जिसका बिल तगड़ा आता है.... और फोन कट जाता है... शिकायत दर्ज नहीं हुई.. फिर वही सिलसिला.. वही दोहराव... अंत में अधिकारी हाज़िर होतें हैं... नमस्कार मैं फलां बोल रहा/रही हूँ मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ.... आप अपना नंबर बताएँगे... वहाँ से एस टी डी कोड पूछा जाएगा, फिर आपका नाम, पता, इ मेल आई डी, मोबाइल नंबर की जानकारी ली जायेगी, फिर पूछ जाएगा क्या आपने अपना इंस्ट्रूमेंट चेक किया है? लाइन चेक की? डिब्बी देखी आदि-आदि... जब तक आप आपनी खोपड़ी के बाल नहीं नोचने लगेंगे तब-तक वहां से पूछताछ जारी रहेगी... और अंत में कम्प्लेंट नंबर इतना लंबा बताया जाएगा कि याद रखना मुश्किल. एक शिकायत दर्ज कराने में इतना समय, अब तो ये हाल है कि किसी के यहाँ आप पहुँच कर कहेंगे कि फोन की शिकायत करनी है तो हो सकता है कि जवाब आये.. अरे मेरा भी फोन खराब है....?

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हाथ में मोबाइल लेकर घूम रही नई पीढ़ी को फोन पाने का वो दर्द नहीं मालूम है जो हमारी उम्र ने झेला है. नंबर लगाने के बाद लंबा इन्तजार, लाइनमैन देवदूत लगता था,  दूर से उसे आते देख लपक पड़ते थे हमारा नंबर आया क्या? मायूसी ही हाथ लगा करती थी. फिर सांसद कोटे के लिए प्रयास.... और अंत में ओ वाय टी स्कीम में साढ़े सात  हज़ार जमा करने के हफ्ते भर बाद दो लोग आये और घर की बालकनी में लोहे का एंगल ठोक, उसमे चीनी-मिटटी की गुम्बदनुमा आकृति लगा, चाय-नाश्ता कर विदा हो गए. तय हो गया कि फोन लगने वाला है. अडोस-पड़ोस से जलने कि बू के साथ बधाई सन्देश आने लगे. अब इन्तजार था उन तारों का जिन पर चल कर लाइन आती, फिर दो तीन दिन गुजर गए, देवदूत को पकड़ा तो उसने बताया कि आपके घर के पास के खम्बे में लगी डी बी में जगह नहीं है, साहब से बोल कर लंबा तार दिलवाइए. एक और कवायद हुई तब जा के फोन लगा. ग्राहक सेवा का हाल सरकारी ही था, एस टी डी सुविधा तब शुरू नहीं हुई थी, दूसरे शहर बात करनी हो तो ट्रंक बुक करो उसके बाद सबकुछ छोड़ के फोन के पास घंटो बैठे रहो न जाने कब काल लग जाए, विपत्ति में चार गुना रेट पर लाइटनिंग काल किये जाते थे.

बुधवार, 13 जुलाई 2011

रविवार, 26 जून 2011

खबर, खबर होती है दोस्ती यारी नहीं....


शनिवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्टेशन में बम की खबर से अफरा-तफरी मच गई, दूरदर्शन रायपुर के न्यूज़ रूम तक ये खबर सबसे पहले पहुंची. वहाँ से बिलासपुर की टीम को तुरंत बिलासपुर स्टेशन पहुँच रिपोर्ट करने के लिए कहा गया. खबर उस समय बिलासपुर स्टेशन में खड़ी संपर्क-क्रांति में बैठे किसी यात्री के माध्यम से मिली थी सो सन्देश ये चला गया कि उस ट्रेन में बम है. दस मिनट में टीम स्टेशन के सामने थी. कहाँ है बम? टीम लीडर (अपना नाम लेते शर्म आ रही है) को होशियारी सूझी, उसने रेलवे के जनसंपर्क विभाग से जानकारी मांगी. शनिवार को रेलवे में छुट्टी होती है इसलिए अधिकारी दफ्तर में नहीं थे. फिर भी फोन पर उन्होंने कहा अभी पता करता हूँ. बाद में उन्होंने स्टेशन इंचार्ज भट्टाचार्य के हवाले से खबर दी कि ऐसी कोई बात नहीं है और संपर्क-क्रांति रवाना हो चुकी है.
पुनः: उनसे कहा गया सूचना पक्की है, स्टेशन में पुलिस की सरगर्मी देखी गई है. उन्होंने कहा टिकट चेकिंग हो रही होगी, बम-वम का कोई मामला नहीं है. कैमरा टीम वहाँ से वापस हो गई.
स्टेशन के चौराहे में खड़े होकर सब कुछ जान लेने की होशियारी से ये खबर दूरदर्शन के हाथ से निकल गई. चार कदम चल कर अन्दर झाँक लेते तो बात कुछ और होती.
सबक मिला कि खबर, खबर होती है दोस्ती यारी नहीं.
तस्वीर बिलासपुर भास्कर से.

बुधवार, 22 जून 2011

ये है कशिशे हुस्न......

कुछ बरस पहले एक जूनियर ने एक लेपटॉप लिया और कुछ सीखने की गरज से मेरे पास आ बैठा, मैंने उसके लेपटॉप का निरीक्षण शुरू किया, नज़रें ऐश्वर्या राय के वालपेपर्स पर रुक गयीं. वो मुंहलगा था फ़ौरन पूछ बैठा क्या देखने लगे बुढऊ?
उस समय मेरे मुंह में किसी शायर का ये शेर आते-आते रह गया और मैं झेंप कर रह गया. आज ये शेर याद आया है-
ये है कशिशे हुस्न, के है हसरते दीदार?
ताक़त नहीं है बाक़ी, मगर देख रहा हूँ......

अभी कुछ देर पहले अमिताभ जी ने ट्वीट किया है "ऐश्वर्या माँ बननेवाली हैं और मैं दादा"...
सवाल- मामा कितने बन रहें हैं?

बुधवार, 8 जून 2011

ये देश है वीर जवानो का........

ये देश है वीर जवानो का........
लानत है उस पर जो देश भक्ति के शौर्य से ओतप्रोत इस गीत पर न झूमे. इसको मुद्दा बना के शोर उत्पन्न कर रहे लोगों को जरूरत है सेंटर-फ्रेश च्यूंगम की जो उनकी जुबान पर ताला रखे. अरे! उस वक़्त यदि गांधी जी की समाधि की ओर कैमरा घुमाते तो इस धुन पर उनकी रूह भी झूमती दिख जाती....काहे का देश का अपमान?
 रही बात घायलों को भुला कर नाचने की, तो याद रखिये अपने तीन सौ साथियों की लाशों पर दौड़ कर गए थे नीले सितारे वाले आपरेशन के जवान और फतह के बाद हर्ष फायर कर रहे थे... हाल ही में जब कारगिल पर तिरंगा लहरा के जवान झूम रहे थे तो सामने उनके ही साथियों की लाशें भी पड़ी थीं. दुःख और पीड़ा अपनी जगह है देश भक्ति का जज्बा अपनी जगह है....... अभद्र भाषा का उपयोग करने वालों के लिए उन्ही के जवाब में मेरी जुबान पर एक से बढ़ कर एक शब्द आ रहें हैं लेकिन उन्हें उच्चारित करने के लिए ये उचित जगह नहीं है इसलिए फिलहाल मैं ही सेंटर-फ्रेश चबा रहा हूँ.

बुधवार, 18 मई 2011

गूगल अकाउंट हैक

न जाने किसी को मेरा गूगल अकाउंट हैक करने की क्या जरूरत पड़ती है? हैक करने के बाद मुझे दो तीन कम्युनिटी का सदस्य भी बना दिया जाता है और तो और न जाने क्या हरक़त करतें हैं कि ब्लॉगपोस्ट से मेरा ब्लॉग ही उड़ जाता है. फिर मुझे वेर्रीफिकेशन से गुजरना पड़ता है, सारे समर्थक गायब हो जातें हैं.  ऐसा तीसरी बार हुआ है.

शुक्रवार, 6 मई 2011

May be Radio tracking system helpful for missing choppers?

कैसी विडम्बना है कि पिछले कई बरसों से हम भारत में हेलीकाप्टरों के लापता होने और फिर उनकी रात-दिन युद्ध स्तर पर खोज के समाचारों, उसमे सवार लोगों की सलामती की दुआओं, वायु सेना की सहायता, इसरो की मदद...... आदि-आदि सुर्ख़ियों के आदी हो चलें हैं, लेकिन किसी भी जिम्मेदार संस्था ने ऐसा कोई उपाय नहीं सुझाया जिससे लापता हुए विमानों और हेलीकाप्टरों को जल्द से जल्द लोकेट किया जा सके?



वहीँ दूसरी ओर पूरी दुनिया में व इस देश में भी रेडियो ट्रेकिंग सिस्टम आ चुका है जिसकी सहायता से जंगली जानवरों से लेकर, पानी में रहने वाले प्राणियों और हवा में उड़ने वाले पंछियों में टैग लगाकर उन पर नज़र रखी जाती है और उनके व्यवहार का अध्ययन किया जा रहा है. पिछले दिनों अमेरिका में कुछ भारतीय छात्रों के पैरों में भी इसी तरह की बेड़ियाँ बाँध दी गईं थी जिस पर काफी शोर-शराबा हुआ था.

रविवार, 24 अप्रैल 2011

यह मसाइल-ए तसव्‌वुफ़ यह तिरा बयान ग़ालिब तुझे हम वली समझ्‌ते जो न बादह-ख़्‌वार होता

बात सही है कि चचा ग़ालिब अपनी बादाखारी(शराबखोरी) के नाम से बदनाम रहे. अपनी इस आदत को उन्होंने खुद ही कभी राज नहीं रहने दिया, रह-रह कर अपनी शायरी में खुद ही इस बात का ऐलान करते रहे. फिर इस शेर के मार्फ़त मान भी लिया कि वो क्या? हो सकते थे. ये बात भी सही है  कि गर चचा छिप-छिप कर पीते और अपना काम करते रहते तो वली ही होते( वैसे उनके चाहने वाले उन्हें इस से बढ़ कर मानतें हैं). 
चचा ग़ालिब की चर्चा इसलिए कि शराब के मामले में अपने आसपास बहुत कुछ घट रहा है लेकिन उस पर खुली चर्चा कहीं नहीं होती, मेरा मतलब शराबियों की तकलीफ से है. बंद कमरों में बरसों से पी रहे लोग जाम उठाते हैं, बहसबाजी के बीच दो चार मुद्दे शराब के उठतें हैं जो कि वहीँ बाट्म्स अप के साथ समाप्त हो जातें हैं. शराब पर लिख कर कौन अपनी फजीहत कराये? इससे हो ये रहा कि इस धंधे में चारों तरफ खुला खेल फर्रुक्काबादी चल रहा है. मैंने ठाना है कि इस पर कुछ चर्चा कर ही ली जाए. 
* पहली बात- आम चर्चा ये कि छत्तीसगढ़ शासन ने शराब माफियाओं के सिंडिकेट को तोड़ने के लिए पिछले दो चार बरसों से नई आबकारी नीति बनायी हुई है, जिसे इस साल शराब माफियाओं ने सिंडिकेट बना कर ध्वस्त कर दिया है. तो क्यों नहीं इस साल के ठेके रद्द किये जा रहें हैं?
*दूसरी बात- शराबी इस बात से परेशान हैं कि जिन ब्रांडों की बाटलिंग छत्तीसगढ़ में हो रही है उनके टेस्ट में हर बार बदलाव रहता है, आलम ये है कि एक ही ब्रांड को अलग-अलग दुकानों से लेने में स्वाद अलग-अलग मिलतें हैं, क्वालिटी कंट्रोल कहाँ है?
*तीसरी बात- नामी ब्रांडों की बाटलिंग करने वाले अपना कोई ब्रांड नहीं ला सकते लेकिन यहाँ तो नामी ब्रांड से मिलती जुलती पैकिंग के ब्रांड भी निकल रहें हैं? देखने वाला कौन है?

बातें तो बहुत हैं, उन पर चर्चा आगे भी जारी रखूँगा फिलहाल चलते-चलते एक खबर पर चर्चा-
बिलासपुर शहर में शराब माफियाओं के झगड़े में गुड फ्राई डे के दिन एक मसीही भाई एक पेटी शराब के साथ पकड़ा गया, उसकी शराब कार सहित जब्त कर ली गई. एक आदमी चार बोतल से ज्यादा शराब नहीं रख सकता, इस नियम का शिकार वो बन्दा हो गया. एक निजी कंपनी में मुलाजिम बेचारा कुछ नहीं कर सका. शराब माफियाओं के हाथ में ही इस शहर का केबल प्रसारण है, इस लिए सभी ने अपने अपने अंदाज़ में इसे खूब  दिखाया, अखबारों में भी उसकी तस्वीर छपी. किसी ने उसका साथ नहीं दिया वरना वो जिस धर्म से अपना ताल्लुक रखता है उसके अनुसार वो न केवल अपने, बल्कि अपनी बीबी और माँ-बाप के नाम की चार-चार बोतलें रख सकता है.

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

कुत्ते की दुम ---

 अन्ना हजारे के समर्थन में शुक्रवार शाम को बिलासपुर में लोगों ने सी एम् डी चौक से लेकर पुलिस लाइन तक कैंडल मार्च किया. इसमें हर वर्ग के लोग शामिल थे. इस मार्च का समापन पुलिस मैदान में राष्ट्र गान के साथ होना था. जब ये यात्रा पुलिस मैदान पहुंची तो पाया कि गेट में ताला लगा हुआ है. आयोजकों ने वहाँ उपस्थित पुलिसवालों से कहा कि हमारे पास परमिशन है आप ताला खुलवाइए. वो अपनी हेकड़ी पर उतर आये और हीलाहवाला करने लगे, पहले कहा जिसके पास चाभी है वो कहीं गया है, फिर आर आई का हवाला देने लगे. आयोजकों ने खूब मिन्नतें की, सिविल लाइन थाने में गुहार लगाईं, फोन घुमाए किसी पुलिसवाले के कान में जूं तक नहीं रेंगी.
यात्रा का समापन अन्दर ही करेंगे और राष्ट्रगान मैदान में ही होगा की जिद के साथ सभी मोमबत्तीधारियों ने सामने  की सड़क पर कब्जा जमा लिया और नारेबाजी करने लगे, सड़क पर जाम लग गया. पंद्रह मिनट बाद गेट खुल गया.  

रविवार, 3 अप्रैल 2011

Indian Had taken Shrilanakn Tigers By Tail......

 ये लम्हे ताउम्र याद रहेंगे...


मंगलवार, 15 मार्च 2011

कलावीथिका का दीपक

बिलासपुर के राघवेन्द्र राव सभा भवन में लगी प्रदर्शनी को देखने, सोमवार दोपहर जब मैं वहाँ पहुंचा तो हैरत में पड़ गया, अन्दर की साज सज्जा भव्य थी. लगा ही नहीं कि मैं बिलासपुर में हूँ. प्रदर्शित कलाकृतियों को बारे में कला मर्मज्ञ लोग टिप्पणी करेंगे, मैं तो वहाँ अभिभूत होने गया था. रात को दुबारा गया. अंत में ये सुन कर बुरा लगा कि चर्चाएँ तो हुईं लेकिन एक भी कलाकृति बिकी नहीं.  मुझे प्रभावित किया वहाँ के दीपस्तंभ ने भी, कलावीथिका का दीपक सामान्य कैसे हो सकता है? हर तरह से वह विशिष्ट था. मैंने पाया कि उसकी विशेष देखभाल भी होती है. अंतिम दिन था लेकिन फिर भी स्तम्भ के चारों तरफ के फूलपत्तियों को साफ़ कर पलाश के फूलों से वहाँ घंटों की मेहनत से नई आकृति उकेरी गई. मैं भी जमा रहा ये देखने कि आखिर ये कर क्या रहें हैं? साथ ही मोबाइल से तस्वीरें भी लेता रहा. आप भी देखें और हाँ ध्यान से!


रविवार, 6 मार्च 2011

नैनो का शौक पूरा हो गया ....

पिछले पांच दिनों से घर आते-जाते मोटर गाड़ियों के रीसेलर की गाड़ियों के बीच एक नैनो को खडा देख रहा हूँ. आज दोपहर को भी जब वहाँ उसे खड़े देखा तो मुझसे नहीं रहा गया,  आखिर इस माडल को लांच हुए साल भर भी नहीं हुआ है और इसका मालिक इसे बेचना चाहता है, क्यों? उस पर भी पांच दिनों से इसे कोई खरीदने वाला नहीं आया? मैंने अपने सहनाव रीसेलर से पूछा "क्या हुआ इस नैनो को, इसका मालिक इसे क्यों बेच रहा है"? जवाब आया एक अग्रवाल जी की है, उनके पास दो तीन और गाड़ियां हैं, नैनो का नाम हुआ सो उन्होंने भी उसका टॉप माडल खरीद लिया था. अब नैनो का शौक पूरा हो गया सो वो इसे बेच रहे हैं. दो लाख तेईस हज़ार की पड़ी थी और वो अब इसे एक लाख चालीस हज़ार में बेचना चाहते हैं, साथ ही कहतें हैं की कमीशन नहीं दूंगा, अभी तक इसकी मांग एक पैंतीस तक ही आई है.  


साथ ही खड़े एक सज्जन की ओर इशारा करते हुए कहा की ये भी अपनी नैनो बेचना चाहते हैं, मैंने उनसे पूछा आप क्यों? उन्होंने बताया मैं ठेकेदार हूँ ये गाडी मेरे काम की नहीं है, वैसे गाडी में कोई कमी नहीं है, अच्छी गाडी है.
कहाँ से कहाँ पहुँच गई नैनो?
वैसे जब मेरी मोटर सायकिल बिगड़ी थी तो मैं भी ac नैनो लेना चाहता था किन्तु जब पेट्रोल ६० के ऊपर जाते देखा तो मैंने अपना इरादा बदल दिया और पिताजी की पुरानी बजाज स्कूटर की सर्विसिंग करा कर उसे चला रहा हूँ, ३५ से ऊपर एवरेज दे रही है.

गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

Tala Mahaotsav?

16 फ़रवरी, बुधवार की शाम ६ बजे ताला महोत्सव का उदघाटन था, उस दिन अन्य कार्यक्रमों के साथ चंदैनी-गोंदा प्रहसन होना था, सो मित्रों के साथ हम भी मनियारी नदी के तट पर स्थित देवरानी-जेठानी मंदिर शाम से पहुँच गए. शहर से कुछ मित्रों का फोन आया तो उन्हें भी वहीँ बुलवा लिया.
लेकिन उस दिन चंदैनी- गोंदा देखना नहीं बदा था, नेता लोग रात ९:३० तक नहीं आये सो समारोह का उदघाटन तब तक नहीं हुआ. सबने हिसाब लगाया कि यहाँ रात का दो बजना तय है. कुछ मित्रों के बच्चों के दूसरे दिन पेपर्स थे, उन्होंने जल्दी जाने की बात कही, इस पर सब उठ कर वहाँ से निकल लिए.
रास्ते में शशि भाऊ ने कहा कि कल सुबह जब बच्चों को उठाऊंगा तो उन्हें क्या नहीं करना चाहिए? में एक नई बात बताऊंगा, "ताला महोत्सव देखने कभी नहीं जाना"
वहाँ खाली बैठे-बैठे मोबाइल से कुछ तस्वीरें लीं और एक वीडिओ बनाया. आप भी देखें.इति.




मंगलवार, 18 जनवरी 2011

Do you know Love Jihad?


Copied From Facebook, John Monteiro's Post



Few days back a secular Malayalam Daily, Kerala Kaumudi exposed shocking revelations about a jihadi organisation named ‘Love Jihad’ which has been conveniently ignored by rest of the media.

Trapping naive Non Muslim girls (Read as Hindu girls) in the web of love in order to convert to Islam is the modus operandi of the said organisation. Already more than 4000 girls have been converted to Islam by these Jihadi Romeos.

Special branch of Police started investigation when marriages of such large scales are reported within last 6 months. As per the instructions to recruits of this organisation, they have to get a Hindu girl to fall in love within the time frame of 2 weeks and brainwash them to get converted and marry within 6 months. Special instructions to breed atleast 4 kids have also been given. If the target won’t get trapped within first 2 weeks, they are instructed to leave them and move on to another girl.

College students and working girls should be the prime target. Once completed their mission the organisation will give 1 lakh Rupees and Financial help for the youth to start business. Free Mobile Phone, Bikes and Fashionable dresses are offered to them as tools for the mission.

Money for this Love Jihad comes from Middle East. Each district have their own zone chairman’s to oversee the mission. Prior to College admission they make a list of Hindu girls and their details and target those whom they feel vulnerable and easy to be brainwashed.

It’s upto our Secular parents and Hindu Soceity as a whole to decide whether they should inculcate the ethos of Sanathana Dharma upon their Sons and Daughters before getting targeted by these evil doers. The story of a Marxist MLA’s daughter which hit even National Headlines (Although for Maligning Hindu Organisations) is only the tip of the iceberg.

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

Desh Ke Bhavi Nirmataa..

आज के अखबार में एक अच्छी खबर देखी, कैट के रिजल्ट, ८ प्रतियोगिओं ने १००% नंबर पायें हैं, ९९.९९% में १९ लोग हैं, उनमे से एक दुर्ग के वेंकट हैं, रायपुर के एक छात्र ९९.९५% पायें हैं. इस भावी पीढ़ी को सलाम.

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

Dr Prabhu Dutt Khairaa

मेरे बच्चे डा. प्रभु दत्त खैरा के साथ.
खैरा सर ५ जनवरी को गुजरात के प्रवास पर निकल गये. अगले दो माह तक वो द्वारका के आस-पास कच्छियो की सेवा में रहेंगे. अप्रेल माह तक लमनी लौटेंगे.

Hi Kutch! Dr P D Khaira is missing you.



पिछले साल जब खैरा सर कच्छ नहीं जा पाए थे तब हमने उनसे बातें की थीं.

Baiga Tribes! Stateless Society Dr. P. D. Khaira.



पिछले आम चुनाव में सर को खाली पाकर मैंने उनसे काफी बातें कीं.....

रविवार, 9 जनवरी 2011

Hinglish

इस पोस्ट में उत्तर भारत के एक नामी हिंदी अखबार कि सम्पादकीय कि फोटो लगा रहा हूँ, आप भी पढ़े इस हिंदी को..
कमल दुबे.

Community Radio

One of my frnd in this site send me a link, check this out.

isko pls suniyega
pls kuchh patrakaro ko bhi bhejiyega
to ho sakta hai inkee koi madad ho sake.

शनिवार, 1 जनवरी 2011

Ek brahman ne kaha hai

साल अच्छा है... Poet- Sabir Dutt

हर साल की तरह इस साल भी इसे गुनगुनाएं... http://www.youtube.com/watch?v=6L3h0I7dE5s



एक  बराहम्हन  ने  कहा  है  के  ये  साल अच्छा है,

ज़ुल्म की रात बहुत जल्द ढलेगी अब तो,
आग चूल्हों में हर एक रोज़ जलेगी अब तो,
भूख के मारे कोई बच्चा नहीं रोयेगा,
चैन की नींद हर एक शख्स यहाँ सोयेगा,
आंधी नफरत की चलेगी न कही अब के बरस,
प्यार की फ़स्ल उगाएगी ज़मीं अब के बरस,
है यकीं अब न कोई शोर शराबा होगा,
ज़ुल्म होगा न कहीं खून खराबा होगा,
ओस और धूप के सदमे न सहेगा अब कोई,
अब मेरे देश में बेघर न रहेगा कोई,
नए वादों का जो डाला है वो जाल अच्छा है,
रहनुमाओं ने कहा है कि ये साल अच्छा है,
दिल के खुश रखने को ग़ालिब" ये ख़याल अच्छा है.

Poet- Sabir Dutt. Singer- Jagjit Sing(Mirag,1995)

Happy English New Year

सभी को अंग्रेजी नया साल मुबारक हो!