पिछली ३१ जुलाई को २१ वर्षीय प्रमोद मरावी( गोंड आदिवासी) ने सुबह ९ बजे अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. उसने कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा इसलिए आजतक ये पता नहीं चल पाया है कि उसने आखिर ऐसा क्यों किया? हमने पुलिस से पूछा, उसके मित्रों से मिले, उसके गाँव घर तक गए लेकिन कुछ भी पता नहीं चला.

प्रमोद मरावी के इस तरह से चले जाने का मुझे और मेरे परिवार को बहुत अफसोस है. कारण कि आज से ढाई बरस पहले जब मुझे पता चला कि पंद्रह सौ की जनसंख्या(आदिवासी बाहुल्य) वाले शिवतराई जैसे छोटे से गाँव में तीरंदाजी के ३२ राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय खिलाडी हैं तो में दूरदर्शन के लिए ये खबर बनाने वहाँ गया(२७-०१-२००८), अकेला था सो गाडी में बीबी-बच्चे भी आ गए. वहाँ हमने ५६ मिनट का फिल्मांकन किया, शिवतराई के लोगों ने मेरी और मेरे बच्चों की यथाशक्ति खातिरदारी की. बीबी-बच्चों को गाँव घुमाया.
सभी खिलाड़ियों से मैंने बातचीत की, उनके गुरु इतवारी राज से भी बात हुई. इसी दौरान में प्रमोद मरावी से भी मिला. उसकी तीरंदाजी से में बहुत प्रभावित हुआ, दूर से सीधा बुल्स आई! असीम संभावनाएं थीं उसमें! साथ के विडिओ में उसे देखें (दूरदर्शन से साभार).
भगवान् उसकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे! इति.
कमल दुबे. ०८.०८.१०.
... दुखद व मार्मिक घटना !!!
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जवाब देंहटाएंपूरे असर के साथ पेश खबर.
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