फिल्म तेरे घर के सामने के इस गीत में देवानंद जी का सहज अभिनय और नूतन जी का बालकनी में आकर हर्षमिश्रित हैरानी का भाव देना, मेरे पटल में बस गया. मैं मुरीद हो गया. श्रद्धांजलि.
पहले महज एक जुमला लगता था.... अब समझ में आ रहा है कि किसी के जाने पर "एक युग का अंत" क्यों कहा जाता है....
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