नए सबक, नए पहलू और नए नज़रिए सिखलातीं, दिखातीं और बनातीं कुछ असहज घटनाओं को सहजता से लेने का सब से अच्छा तरीका है, अपने आप से ये कहना कि " ऐसा भी होता है"!
शुक्रवार, 20 मई 2016
Bilaspur Rahagiri Day
राहगिरी -
बिलासपुर की तासीर रही है ये किसी भी मामले में ज्यादा दिन पीछे नहीं रहता, फिर राहगिरी में कैसे रह जाता? सो बिलासपुर भी राहगिरी में आ ही गया. अच्छी बात ये है कि इसके लिये नगर निगम ने पहल की है, न केवल पहल ही की बल्कि पहले राहगिरी दिन में महापौर के साथ निगम आयुक्त भी सक्रिय दिखीं, उस पर संभागायुक्त का स्थल पर पहुँच राहगिरों का उत्साह बढ़ाना! मज़ा आ गया। विभिन्न संगठनो से जुड़े बच्चों से लेकर बुजुर्गों के उत्साह को देख कर लगा कि अब बिलासपुर राहगिरी की राह पर चल पड़ा है।
पहले राहगिरी दिवस पर ये स्पष्ट दिखायी दे रहा था कि प्रति दिन सुबह उठकर शहर के जो लोग अलग-अलग स्थानों में अपने स्वास्थ्य को बनाये रखने के अभ्यास, खेल, योग का अन्य तरह के मेडिटेशन, अकेले या समूह के साथ करते हैं, वही लोग नज़र आये। सुबह देर से उठने वाले लोग धीरे -धीरे इसमें शामिल होंगे। उनकी संख्या जितनी बढ़ेगी राहगिरी के उद्देश्य उतने ही सफल होंगे।
जिन लोगों को राहगिरी हजम नहीं हो रही है उनसे केवल इतना निवेदन कि ज़माने के साथ चलना जरूरी है, किसी चीज को आने से कोई नहीं रोक सकता। देर सबेर राहगिरी को बिलासपुर पहुंचना ही था। स्थानीय प्रशासन के सहयोग के बिना ऐसे कार्यक्रम होते ही नहीं, सो अगर निगम ने पहल की है तो सोने में सुहागा है. अगले रविवार जल्दी उठकर राहगिरी स्थल तक टहल आइएगा, मन बहल जाएगा और मन में एक नारा गूंजेगा - "अपना बिलासपुर-स्वस्थ्य बिलासपुर"।
पुनश्च- राहगिरी दिन से नगर के हर हिस्से के नागरिक जुड़ें इसके लिये अलग अलग जगहों पर इसका आयोजन करने का विचार अच्छा है, लेकिन बाद में इसका एक स्थान तय कर दिया जाये तो बेहतर रहेगा।
कमल दुबे.
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