नए सबक, नए पहलू और नए नज़रिए सिखलातीं, दिखातीं और बनातीं कुछ असहज घटनाओं को सहजता से लेने का सब से अच्छा तरीका है, अपने आप से ये कहना कि " ऐसा भी होता है"!
रविवार, 27 नवंबर 2011
महँगा बाजा...
बिलासपुर में इस बार का रावत नाचा महोत्सव भी निपट गया लेकिन पिछले साल की तरह इस बरस भी विनोबा नगर में गड़वा बाजे की रात रात भर गूंजने वाली आवाज़ नहीं सुनाई दी. यहाँ बरसों से आ बसे रावतों में इस बरस भी बाजा करने का सामर्थ्य नहीं था. इसे महंगाई का असर तो कहा जा सकता है लेकिन एक पहलू ये भी है कि अब शहरों में गाय पालने का प्रचलन नहीं रह गया है सो रावतों के पास उतना काम भी नहीं रह गया है, उतने घर भी नहीं रह गए हैं जिनके दरवाजे वो बाजे और अपने दल के साथ जा कर आशीष दें और दक्षिणा पायें.
बिलासपुर में देवउठनी एकादशी के दिन अरपा के तट पर बाजा बाज़ार लगता है जहां आसपास के राउत आते हैं और अपने लिए बाजा चुनते हैं. उस दिन मैं बाज़ार का जायजा ले रहा था कि मुझे मनहरण मिल गया जो कि विनोबा नगर के राउतों का मुखिया है, बाजा न कर पाने का दु:ख उसने अपने ही अंदाज़ में बयान किया. आप भी सुने पहले गड़वा बाजा फिर मनहरण की बातों के कुछ अंश...
गुरुवार, 17 नवंबर 2011
Rawat Mahotsav Jhalakiyan.wmv
Dear friends, 34th Rawat Naach Mahaotsav of Bilaspur is scheduled on the eve of 19th November, actually it is the biggest competition of Rawat Folk Dances of Chhattisgarh, where dozens of Gole (teams) of Rawats come to perform their Shourya' (Strength) one by one, means thousands of folk dancers with colorful Lathis on their hands and in very colorful traditional dress. As per my view it is the Paradise for those photographers who wants to cover pure folk.
History- In Bilaspur area of Chhattisgarh there is tradition of The Yadavs that their teams take round of Shanichari bazaar (Old Market place for Cows) on the second Saturday after Devuthni Ekadashi. In past it was quite irregular and mostly ended with the battles of Goles (teams) every year. Then some intellectuals of yadav society came forward to regularize this tradition and gave it a shape of healthy competition. Now its runs whole night and in the morning, Big Shields and Trophies are there for the winners in various categories.
There are too many things to watch and read about this function and the participants like their Bazaa Party, their dresses, Dohe, Song's etc. etc.. One thing which attracts me is Pari' (two is common) in each team. Men dressed in ladies wear and act like female dancer of the team (ladies are not allowed in teams cause Shourya' is meant for the males only).
गुरुवार, 10 नवंबर 2011
Rescue Of A Bird.wmv
पिछले रविवार को बिलासपुर के गोल बाज़ार स्थित छितानी मितानी दुबे धर्मशाला के सामने वाले पीपल पेड़ की एक डंगाल पर लिपटे पतंग के धागों में एक मैना का पैर उलझ गया और वो वहाँ फंस कर रह गई. उसके आर्तनाद को सुन वहाँ के लोगों का ध्यान उसकी और गया. उसके फंसे होने का एहसास होते ही वहाँ से गुजर रहे नंदू गुरूजी, वहाँ के पानठेले वाले, वहाँ खड़े हो कर चाट खा रहे लोगो ने मैना को छुड़ाने की जुगत शुरू कर दी. साथ लगे वीडियो में देखें उस नन्ही सी जान को लोगों ने कैसे बचाया..... अफ़सोस इस बात का कि मैं उसकी परवाज़ को रिकॉर्ड नहीं कर सका क्योंकि आज़ाद होते ही वो नीचे गिर पड़ी, फिर नीचे से ही फुर्र हो गई.
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