रविवार, 26 जून 2011

खबर, खबर होती है दोस्ती यारी नहीं....


शनिवार को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्टेशन में बम की खबर से अफरा-तफरी मच गई, दूरदर्शन रायपुर के न्यूज़ रूम तक ये खबर सबसे पहले पहुंची. वहाँ से बिलासपुर की टीम को तुरंत बिलासपुर स्टेशन पहुँच रिपोर्ट करने के लिए कहा गया. खबर उस समय बिलासपुर स्टेशन में खड़ी संपर्क-क्रांति में बैठे किसी यात्री के माध्यम से मिली थी सो सन्देश ये चला गया कि उस ट्रेन में बम है. दस मिनट में टीम स्टेशन के सामने थी. कहाँ है बम? टीम लीडर (अपना नाम लेते शर्म आ रही है) को होशियारी सूझी, उसने रेलवे के जनसंपर्क विभाग से जानकारी मांगी. शनिवार को रेलवे में छुट्टी होती है इसलिए अधिकारी दफ्तर में नहीं थे. फिर भी फोन पर उन्होंने कहा अभी पता करता हूँ. बाद में उन्होंने स्टेशन इंचार्ज भट्टाचार्य के हवाले से खबर दी कि ऐसी कोई बात नहीं है और संपर्क-क्रांति रवाना हो चुकी है.
पुनः: उनसे कहा गया सूचना पक्की है, स्टेशन में पुलिस की सरगर्मी देखी गई है. उन्होंने कहा टिकट चेकिंग हो रही होगी, बम-वम का कोई मामला नहीं है. कैमरा टीम वहाँ से वापस हो गई.
स्टेशन के चौराहे में खड़े होकर सब कुछ जान लेने की होशियारी से ये खबर दूरदर्शन के हाथ से निकल गई. चार कदम चल कर अन्दर झाँक लेते तो बात कुछ और होती.
सबक मिला कि खबर, खबर होती है दोस्ती यारी नहीं.
तस्वीर बिलासपुर भास्कर से.

बुधवार, 22 जून 2011

ये है कशिशे हुस्न......

कुछ बरस पहले एक जूनियर ने एक लेपटॉप लिया और कुछ सीखने की गरज से मेरे पास आ बैठा, मैंने उसके लेपटॉप का निरीक्षण शुरू किया, नज़रें ऐश्वर्या राय के वालपेपर्स पर रुक गयीं. वो मुंहलगा था फ़ौरन पूछ बैठा क्या देखने लगे बुढऊ?
उस समय मेरे मुंह में किसी शायर का ये शेर आते-आते रह गया और मैं झेंप कर रह गया. आज ये शेर याद आया है-
ये है कशिशे हुस्न, के है हसरते दीदार?
ताक़त नहीं है बाक़ी, मगर देख रहा हूँ......

अभी कुछ देर पहले अमिताभ जी ने ट्वीट किया है "ऐश्वर्या माँ बननेवाली हैं और मैं दादा"...
सवाल- मामा कितने बन रहें हैं?

बुधवार, 8 जून 2011

ये देश है वीर जवानो का........

ये देश है वीर जवानो का........
लानत है उस पर जो देश भक्ति के शौर्य से ओतप्रोत इस गीत पर न झूमे. इसको मुद्दा बना के शोर उत्पन्न कर रहे लोगों को जरूरत है सेंटर-फ्रेश च्यूंगम की जो उनकी जुबान पर ताला रखे. अरे! उस वक़्त यदि गांधी जी की समाधि की ओर कैमरा घुमाते तो इस धुन पर उनकी रूह भी झूमती दिख जाती....काहे का देश का अपमान?
 रही बात घायलों को भुला कर नाचने की, तो याद रखिये अपने तीन सौ साथियों की लाशों पर दौड़ कर गए थे नीले सितारे वाले आपरेशन के जवान और फतह के बाद हर्ष फायर कर रहे थे... हाल ही में जब कारगिल पर तिरंगा लहरा के जवान झूम रहे थे तो सामने उनके ही साथियों की लाशें भी पड़ी थीं. दुःख और पीड़ा अपनी जगह है देश भक्ति का जज्बा अपनी जगह है....... अभद्र भाषा का उपयोग करने वालों के लिए उन्ही के जवाब में मेरी जुबान पर एक से बढ़ कर एक शब्द आ रहें हैं लेकिन उन्हें उच्चारित करने के लिए ये उचित जगह नहीं है इसलिए फिलहाल मैं ही सेंटर-फ्रेश चबा रहा हूँ.