काम कम और हल्ला ज्यादा! इसके क्या नतीजे होते हैं? इन दिनों मैं स्वयम इनको भुगत रहा हूँ. दरअसल अप्रेल के महीने में जब मेरा मल्टीमीडिया मोबाइल हैण्डसेट चोरी हो गया तो मैंने जून में सोनी इर्रिक्कशन का ३जी सेट लिया, फिर जब बाहर गया तो उस सेट में इंटरनेट कि स्पीड देख मैं दंग रह गया और वापस बिलासपुर आ कर मैंने साथियों के बीच इसकी जम कर चर्चा की. जुलाई में उक्त हैण्डसेट भी चोरी हो गया. फिर मैंने नोकिया सी ६ लिया जो पिछले महीने ही मुझे मिला था. उसके भी ३ जी होने कि खूब चर्चा हुई. नया मोबाइल चलता कम और हैंग ज्यादा होता था सो मैंने उसे मोबाइल स्टोर में वापस पटक दिया. फिर पिछले दिनों जब मेरा बेटा स्कूल टूर में जा रहा था तो मैंने उसे एक चायनीज सेट दिया लेकिन ध्यान रखा कि वो भी ३जी हो. बेटा जब वापस आया तो उसने बताया कि उसका सेट दो कौड़ी का है उसमे ३जी काम नहीं करता. मैंने उक्त सेट भी स्टोर में पटक दिया. अब मेरे पास मेरा पुराना हथौड़ा छाप सेट ही है जो काम आ रहा है.
अब पिछले दो तीन दिनों से बिलासपुर में दो कंपनियों ने एक साथ ३जी सेवाएँ शुरू कर दी हैं. मेरे कई परिचित ३जी सेवा टेस्ट करने या एक्टिवेट कराने में लगे हैं. उनसे पूछा जाता है कि कोई ऐसा नंबर बताओ जिसमे ३जी चालू हो तो आपको वीडिओ काल करके दिखाते हैं! आँख मूँद के मेरे साथी मेरा नंबर बता रहे हैं और उनके वीडिओ काल रीजेक्ट हो रहें हैं, क्योंकि मेरे हैण्ड सेट किस हाल में हैं इसकी चर्चा मैं पहले ही कर चुका हूँ, और उसके बाद शुरू हो रहा है ३जी गालियों का सिलसिला......
कमल दुबे.
3जी करने के चक्कर में कंपनियों की पुरानी अच्छी 2जी सेवाओं का भी कचरा हो गया है। हम सबको वापस लैंडलाइन पर निर्भर रहना पड रहा है। कभी आवाज नहीं, तो कभी फोन लगता नहीं... जितने लोग उतने प्रकार की दुख भरी दास्तान....
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