सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

ऐसा भी होता है...


बिलासपुर, छत्तीसगढ़. आज भारतीय स्टेट बैंक की नई नीति से सामना हुआ. मेरे घर से चन्द कदमो की दूरी पर है स्टेट बैंक की श्रीकांत वर्मा मार्ग शाखा. इस शाखा में मैं अपनी बिटिया के लिए बचत खाता खुलवाने पहुंचा तो जो जवाब मिला उसके सदमे से अभी तक नहीं उबर पा रहा हूँ. सामने की टेबल पर बैठे सज्जन से जब मैंने पूछा कि बिटिया के नाम से खाता खुलवाना है क्या-क्या कागज़ लगेंगे, क्या-क्या औपचारिकतायें पूरी करनी पड़ेंगी? तो जवाब मिला पैनकार्ड और पहचान पत्र, मैंने कहा बेटी तो स्टुडेंट है उसका पैनकार्ड नहीं है, आप कुछ और बताएं..? जवाब मिला "यहाँ स्टुडेंट्स के खाते नहीं खोले जाते". मैं हतप्रभ रह गया, पूछा क्यों? उन सज्जन ने तुरंत अन्दर बैठे एक अधिकारी की ओर इशारा कर कहा कि आप ब्रांच मैनेजर से बात कर लें. मैं ब्रांच मैनेजर के पास पहुंचा और कहा कि मेरी बेटी बालिग है उसका एकाउंट यहाँ क्यों नहीं खुल सकता?
बिलासपुर छत्तीसगढ़ की भारतीय स्टेट बैंक की श्रीकांत वर्मा मार्ग के ब्रांच मैनेजर ए के घोष ने जवाब दिया " आप अपना खाता खोलें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन स्टुडेंट्स के खाते इस ब्रांच में नहीं खोले जाते", मैंने पूछा आखिर क्यों? तो उन्होंने एक काउंटर की तरफ इशारा करते हुए कहा कि " देख लीजिये ये हज़ार- दो हज़ार वाले कैसे लाइन बड़ी किये पड़े हैं और हमारे बड़े ग्राहक पीछे हो गयें हैं. स्टुडेंट्स रोज़ ऐसी ही भीड़ लगायेंगे तो हमारे बड़े ग्राहकों को परेशानी होगी और फिर ऊपर से भी आदेश हैं".  उस ब्रांच से बाहर निकलने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.

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