शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

Chhattisgarhi Rawat Folk Dance Competition: Bilaspur

Dear friends,

Rawat Naach Mahaotsav of Bilaspur is scheduled on the eve of 7th Nov., actually it is the biggest competition of Rawat Folk Dances of Chhattisgarh, where dozens of Gole (teams) of Rawats come to perform their Shourya’ (Strength) one by one, means thousands of folk dancers with colorful Lathis on their hands and in very colorful traditional dress. As per my view it is the Paradise for those photographers who wants to cover pure folk.

History- In Bilaspur area of Chhattisgarh there is tradition of The Yadavs that their teams take round of Shanichari bazaar (Old Market place for Cows) on the second Saturday after Devuthni Ekadashi. In past it was quite unregular and mostly ended with the battles of Goles (teams) every year. Then some intellectuals of yadav society came forward to regularize this tradition and gave it a shape of healthy competition. Now its runs whole night and in the morning, Big Shields and Trophies are there for the winners in various categories.

There are too many things to watch and read about this function and the participants like their Bazaa Party, their dresses, Dohe, Song’s etc. etc.. One thing which attracts me is Pari’ (two is common) in each team. Men dressed in ladies wear and act like female dancer of the team (ladies are not allowed in teams cause Shourya’ is meant for the males only).

शनिवार, 17 अक्टूबर 2009

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

Chhattisgarh- Land Use Change, Biodiversity and Sustainable Resource मैनेजमेंट

भूगोल मेरे लिए एक विषय के रूप में वहीँ तक रहा जहां तक ये स्कूल के कोर्स शामिल था, उसके बाद सामान्य ज्ञान के रूप में ही इससे सम्बंधित रहा. Conference On -Land Use Change, Biodiversity and Sustainable Resource मैनेजमेंट के उदघाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जब मुझे प्राप्त हुआ तब भी मेरी सोच यही थी कि इस नीरस विषय के विभाग के आयोजन में क्या हासिल होना है, जाने किस तरह की माथापच्ची झेलनी पड़ेगी? लेकिन जब वहां पहुंचा तो हैरान रह गया! देखा किस तरह से पूरे देश से भूगोलविद उमड़ पड़े हैं, अतिथियों को सुना तो जाना कि भूगोल में भी साइंस है, गणित है, समाजशास्त्र है. कुछ कथन रोचक लगे-
यूदो सिकाफ़ (Germany)- विविधता चाहे जैसी हो उसके अध्ययन के लिए भारत से उपयुक्त और कोई देश नहीं है..
प्रो. योकियो हिमियामा (Japan)- ......इस विषय में इतना अवश्य कहूँगा कि इसका जो असर भारत में होगा? उसका असर पूरी दुनिया में होगा. इस पर काम करने के लिए सिर्फ भूगोल शास्त्रियों को ही नहीं बल्कि हर उम्र, हर तबके के लोगों को इससे जोड़ना होगा....
प्रो. आर बी सिंह- (महासचिव- NAGI, Delhi Uni. ) - पहाडों और जंगलों का अध्ययन करना है तो पहले वहाँ रहने वालों से उनका ज्ञान लेना होगा.... इसी तारतम्य में मैंने उनसे पूछा कि बायो स्फियर और टाइगर रिजर्व के नाम पर आदिवासियों को जंगल से बेदखल किया जा रहा है! तो उनका जवाब था कि रिजर्व बनाना ठीक है लेकिन जंगल से बेदखली अत्यंत सीमित होनी चाहिए...
प्रो. अली, अलीगढ- अलीगढ विश्वविद्यालय का भूगोल विभाग देश का सबसे पुराना विभाग है, पिछले ९० सालों में यहाँ कई महत्वपूर्ण शोध हुए हैं...

शनिवार, 26 सितंबर 2009

आस्था, आडम्बर, फूहड़ता..?

कल मैं हर साल की तरह नवरात्र में महामाया पर प्रोफाइल बनाने रतनपुर गया, साथ में बीबीबच्चे भी थे. लौटते वक्त सप्तमी के पदयात्रियों पर भी काम करने का इरादा था, सो गाड़ी में बच्चों के हाथ कैमरा रेडी रख ड्राइव कर रहा था. जगह-जगह पदयात्रियों की सेवा के लिए पंडाल लगे दिखे, जहां लोग अपने सामर्थ्य के अनुसार फलाहार, पानी व अन्य चीजें रखे हुए थे. लगभग हर पंडाल में भजन भी बज रहे थे. सोचा कि इनके शॉट्स भी बनाता चलूँ, गाड़ी किनारे की और बिटिया से कैमरा ले फ्रेम बनाने लगा, तभी वहाँ खड़े युवकों और बच्चों कि नज़र कैमरे पर पड़ गयी और वो अचानक पंडाल के सामने आ, पूरे जोश में देवी गीत पर ही हाथ ऊपर कर, कमर हिला-हिला कर नाचने लगे. फ्रेम बनाना था सेवाभाव का और व्यू फाइंडर में नज़ारा कुछ और था? मेरे मुहं से निकला "मिल गया मौका भांड-मटक्का करने का..." मैंने कैमरा नीचे किया और गाड़ी आगे बढ़ा दी, बीबी-बच्चे मुंह दबा के खी-खी कर रहे थे, जहां जहां कैमरा निकालता कमोबेश एक सा नज़ारा. कृपा रही महामाया की कि कुछ पंडाल ऐसे भी मिले जहां मेरा मतलब निकल गया.

जैसे- जैसे अंधियारा बढ़ता गया पदयात्रियों का हुजूम बढ़ता गया, उनमें भी आस्था के साथ-साथ फूहड़ता का पूरा समावेश था. रास्ते में छत्तीसगढ़ के विधान सभा अध्यक्ष भी पूरे ताम-झाम के साथ पदयात्रा करते मिले, आगे पीछे तेज लाइटें, डी जे के अंदाज़ में तेज बजते भजन, वहाँ सब कुछ था आस्था, आडम्बर, फूहड़ता, नहीं दिखी तो सिर्फ वो गरिमा जो इस पदनाम के साथ होनी चाहिए? समझना मुश्किल था कि ये देवी की आस्था में पदयात्रा है या कोई चुनावी रैली या फिर कोई बारात?

उनसे बातचीत के दौरान माइक थामा मेरा बेटा थिर नहीं हो पा रहा था, मैंने माइक खुद थाम लिया. वापस गाड़ी में आया तो फिर वही खी-खी... मैंने अनजान बनते हुए पूछा "क्या हुआ"? बेटे ने जवाब दिया "पापा यहाँ भी तो वही था भांड-मटक्का?"

इति.

कमल दुबे.

२६-०९-०९.

शुक्रवार, 11 सितंबर 2009

Aisaa Bhi Hota Hai...

Aisa Bhi Hota Hai…
ऐसा भी होता है? छतीसगढ़ में निलंबन और बहाली
छत्तीसगढ़ शासन के परिवहन विभाग में हाल में हुई तीन निलंबित अधिकारियों की बहाली इन दिनों चर्चा में है, सी बी आई के एक केस(Stayed) में ये तीनो ही चार्जशीटेड हैं और जिनके खिलाफ गैरजमानती गिरफ्तारी वारंट जारी हैं. इनमें से दो अधिकारी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गए थे. लेकिन वहाँ भी उन्हें सिर्फ चार सप्ताह की ही मोहलत मिली थी और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सी बी आई की विशेष अदालत में सरेंडर कर वहाँ से जमानत लेने के निर्देश दिए थे.

छतीसगढ़ में सन 2002-03 में एक कोयला परिवहन घोटाला उजागर हुआ था। इस बहुचर्चित प्रकरण के मूल में ये बात थी कि एस ई सी एल के गेवरा क्षेत्र में कोयला परिवहन के एक ठेके में कुछ परिवहनकर्ता अपनी ट्रकों की भारवहन क्षमता को बढ़ा कर दर्शाये थे और इससे उन्हे अतिरिक्त लाभ मिल रहा था।
मामले की शिकायत पर सी बी आई ने जांच की और मार्च २००७ में ३६ लोगों के खिलाफ एफ़ आई आर दर्ज की. इनमें २४ परिवहनकर्ता थे ओंर छः-छः कर्मचारी एस ई सी एल व आर टी ओ के शामिल थे. सभी को सम्मन जारी किया गया (Crime No. R C 0092994A004, Registered at Police Station, Central Bureau of Investigation, Jabalpur, camp at Bhilai, District Durg, for the offence punishable under Sections 420, 467, 468 & 471 read with Section 120-B of the Indian Penal Code and under Sections 13(2) & 13(1)(D) of the Prevention of Corruption Act, 1988). सम्मन जारी होते ही सब को जमानत की चिंता हुई. कुछ ने अकेले तो कुछ ने अलग-अलग समूह बना कर अग्रिम जमानत के प्रयास शुरू कर दिए. लोअर कोर्ट में बात नहीं बनी तो उच्च न्यायालय का रूख किया गया. एस ई सी एल के कर्मचारियों और आर टी ओ के कुछ कर्मियों की अग्रिम जमानत की याचिकाएं (MCRC No- 438/2007, 439/2007 आदि) २९-०८-२००७ को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रिजेक्ट हो गई. इसी दिन सबको रायपुर में सी बी आई की विशेष अदालत में हाजिर होना था. ये फैसला भी लंच के बाद ही आया.
बहरहाल २९-०८-२००७ को रायपुर में सी बी आई की ट्रायल कोर्ट में सिर्फ ११ लोग हाजिर हुए, जिनमे १० परिवहनकर्ता(एक महिला) और एक आर टी ओ का कर्मचारी था, कोर्ट ने सभी(११) को जेल भेज दिया और शेष के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया. एक आर टी ओ कर्मी बाद में हाजिर हुआ, अदालत ने उसे भी जेल भेज दिया.

मामला दर्ज होने और चार्जशीट दाखिल होने के बाद आर टी ओ के तीन सहायक क्षेत्रिय परिवहन अधिकारी पी आर नेताम, एस एन सिंह, एल एक्का ओंर सहायक वर्ग-२ के कर्मचारी अरुण शर्मा और राजेंद्र गुप्ता निलंबित कर दिए गए, एक अन्य रिटायर हो चुके थे.

१२ जेल गए तो शेष फरार लोगों में से एल एक्का व अन्य ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली(Petition(s) for Sppecial Leave to Appeal(Crl) No(s). 5508-5509/2007, Date 12/10/2007) इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर चार सप्ताह के लिए रोक लगा दी, लेकिन 28/01/2008 को हुई इस केस की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का निराकरण इस निर्देश के साथ कर दिया " We are not inclined to enlarge the accused petitioners on the anticipatory bail. However, the applicants may surrender before the concerned court and move bail application. On such moving of bail application, the Trial Court will expedite the disposal of the applications in accordance will law."

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद भी किसी ने सरेंडर नहीं किया, क्योंकि इस बीच दो परिवहन ठेकेदारों राजेंद्र अग्रवाल और राजकुमार केडिया कि याचिकाओं (WP[C] 6319-6345/2007) पर 26/10/2007 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला आया कि "Having regard to the facts of the case, prima facie, a case has been made out to entertain this petition and to grant interim relief.
Accordingly, the entire proceedings, pursuant to the charge sheet filed by the C. B. I. on 28th June, 2007 in Crime No. RC0092994A004, is stayed. No action shall be taken pursuant to the order dated 11.09.2007, passed by the trial court till further order."

इस आदेश से ना सिर्फ राजेन्द्र अग्रवाल और राजकुमार केडिया को राहत मिली बल्कि अन्यों को भी आधार मिल गया. ये स्टे आज भी लागू है, मतलब ये कि सी बी आई के इस केस का निराकरण जल्दी संभव नहीं है. इसके मद्देनज़र इस मामले में जेल दाखिल सभी १२ लोगों को जमानत मिल गयी और लगभग दो माह बाद वो बाहर आ गए, इस शर्त पर कि हर माह होने वाली पेशी में उन्हें हाजरी देनी होगी. यही १२ लोग ही तब से लेकर आज तक सी बी आई की विशेष अदालत में हर पेशी में हाजिर होते आ रहें हैं.
अब शुरू होता है असली किस्सा, केस में हो रही देरी के आधार पर निलंबित आर टी ओ कर्मचारियों ने अपने विभाग में बहाली के आवेदन लगाने शुरू कर दिए. इस पर परिवहन विभाग ने पत्र द्वारा सूचित किया कि " माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक २६.१०.२००७ के तारतम्य में निलंबन से बहाल करने हेतु आपने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था. प्राप्त अभ्यावेदन के सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ शासन, विधि विभाग से अभिमत प्राप्त किया गया. उन्होंने अपने अभिमत में बताया है कि न्यायालय द्वारा आगामी आदेश तक स्थगित किये जाने के आधार पर निलंबित कर्मचारी को बहाल किया जाना विधि सम्मत नहीं है."
इसके बाद भी इस केस में जमानत पाए कर्मचारी तो बहाल हो ही गए हैं साथ ही वो तीन सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी जिनमे से दो को सुप्रीम कोर्ट ने सम्बंधित कोर्ट में सरेंडर कर जमानत लेने के लिए निर्देशित किया था और एक जिसने जमानत की कोशिश ही नहीं की, पिछले दिनों कांकेर, कबीरधाम और दंतेवाडा में बहाल हो कर अपना पद सम्हाल चुके हैं. जानना होगा कि ऐसा कैसे हो गया?
कमल दुबे.