भूगोल मेरे लिए एक विषय के रूप में वहीँ तक रहा जहां तक ये स्कूल के कोर्स शामिल था, उसके बाद सामान्य ज्ञान के रूप में ही इससे सम्बंधित रहा. Conference On -Land Use Change, Biodiversity and Sustainable Resource मैनेजमेंट के उदघाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जब मुझे प्राप्त हुआ तब भी मेरी सोच यही थी कि इस नीरस विषय के विभाग के आयोजन में क्या हासिल होना है, जाने किस तरह की माथापच्ची झेलनी पड़ेगी? लेकिन जब वहां पहुंचा तो हैरान रह गया! देखा किस तरह से पूरे देश से भूगोलविद उमड़ पड़े हैं, अतिथियों को सुना तो जाना कि भूगोल में भी साइंस है, गणित है, समाजशास्त्र है. कुछ कथन रोचक लगे-
यूदो सिकाफ़ (Germany)- विविधता चाहे जैसी हो उसके अध्ययन के लिए भारत से उपयुक्त और कोई देश नहीं है..
प्रो. योकियो हिमियामा (Japan)- ......इस विषय में इतना अवश्य कहूँगा कि इसका जो असर भारत में होगा? उसका असर पूरी दुनिया में होगा. इस पर काम करने के लिए सिर्फ भूगोल शास्त्रियों को ही नहीं बल्कि हर उम्र, हर तबके के लोगों को इससे जोड़ना होगा....
प्रो. आर बी सिंह- (महासचिव- NAGI, Delhi Uni. ) - पहाडों और जंगलों का अध्ययन करना है तो पहले वहाँ रहने वालों से उनका ज्ञान लेना होगा.... इसी तारतम्य में मैंने उनसे पूछा कि बायो स्फियर और टाइगर रिजर्व के नाम पर आदिवासियों को जंगल से बेदखल किया जा रहा है! तो उनका जवाब था कि रिजर्व बनाना ठीक है लेकिन जंगल से बेदखली अत्यंत सीमित होनी चाहिए...
प्रो. अली, अलीगढ- अलीगढ विश्वविद्यालय का भूगोल विभाग देश का सबसे पुराना विभाग है, पिछले ९० सालों में यहाँ कई महत्वपूर्ण शोध हुए हैं...
Blog jagat me swagat hai..naye saalki mangal kamna!
जवाब देंहटाएं