पिछले पांच दिनों से घर आते-जाते मोटर गाड़ियों के रीसेलर की गाड़ियों के बीच एक नैनो को खडा देख रहा हूँ. आज दोपहर को भी जब वहाँ उसे खड़े देखा तो मुझसे नहीं रहा गया, आखिर इस माडल को लांच हुए साल भर भी नहीं हुआ है और इसका मालिक इसे बेचना चाहता है, क्यों? उस पर भी पांच दिनों से इसे कोई खरीदने वाला नहीं आया? मैंने अपने सहनाव रीसेलर से पूछा "क्या हुआ इस नैनो को, इसका मालिक इसे क्यों बेच रहा है"? जवाब आया एक अग्रवाल जी की है, उनके पास दो तीन और गाड़ियां हैं, नैनो का नाम हुआ सो उन्होंने भी उसका टॉप माडल खरीद लिया था. अब नैनो का शौक पूरा हो गया सो वो इसे बेच रहे हैं. दो लाख तेईस हज़ार की पड़ी थी और वो अब इसे एक लाख चालीस हज़ार में बेचना चाहते हैं, साथ ही कहतें हैं की कमीशन नहीं दूंगा, अभी तक इसकी मांग एक पैंतीस तक ही आई है.
साथ ही खड़े एक सज्जन की ओर इशारा करते हुए कहा की ये भी अपनी नैनो बेचना चाहते हैं, मैंने उनसे पूछा आप क्यों? उन्होंने बताया मैं ठेकेदार हूँ ये गाडी मेरे काम की नहीं है, वैसे गाडी में कोई कमी नहीं है, अच्छी गाडी है.
कहाँ से कहाँ पहुँच गई नैनो?
वैसे जब मेरी मोटर सायकिल बिगड़ी थी तो मैं भी ac नैनो लेना चाहता था किन्तु जब पेट्रोल ६० के ऊपर जाते देखा तो मैंने अपना इरादा बदल दिया और पिताजी की पुरानी बजाज स्कूटर की सर्विसिंग करा कर उसे चला रहा हूँ, ३५ से ऊपर एवरेज दे रही है.
आप की ब्लॉग के माध्यम से हमने भी पहली नेनो देखी जो सेकेंड हेंड बिक रही है
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